Tuesday, July 21, 2009

सुविचार

१.हितकर किंतु अप्रिय वचन बोलने और सुननेवाले दोनों ही दुर्लभ है - महर्षि वाल्मीकि
२.सज्जन लोग स्वाभाव से ही स्वार्थसिद्धि में आलसी और परोपकार में दक्ष होते है - बाण भट्ट
३.जिसमे सत्य नहीं , वह धर्म नहीं और जो कपटपूर्ण हो वह सत्य नहीं है - महर्षि वेदव्यास
४.अपने अहंकारपर विजय पाना ही प्रभु की सेवा है - महात्मा गाँधी
५.जिससे प्रेम हो गया उससे द्वेष नहीं हो सकता चाहे वह हमारे साथ कितना ही अन्याय क्यों न करे - मुंशी प्रेमचंद
६.आपदा ही एक ऐसी वास्तु है ,जो हमें अपने जीवन की गहराइयों में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है -स्वामी विवेकानंद

No comments: