Monday, February 23, 2009

कबीर के दोहे

  • बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर
  • अर्थ :- इस दोहे में कबीरजी ने समाज के उच्च वर्ग की तुलना खजूर के पेड़ से की है जिस प्रकार खजूर का पेड़ ऊंचाई तो प्राप्त कर लेता है लेकिन वह किसी पथिक को छाया नहीं दे सकता और उसका फल भी कोई आसानी से तोड़ नहीं सकता उसी प्रकार समाज के उच्च वर्ग के लोग प्रसिध्दी तो प्राप्त कर लेते है ,लेकिन निम्न वर्ग के लोगों से उनका कोसो दूर तक सम्बन्ध नहीं होता।
  • ऐसी वाणी बोलिए ,मन का आपा खोय अपना तन शीतल करे ,औरन को सुखः देय
  • अर्थ :- हमें ऐसी मधुर वचन बोलने चाहिए जो अहंकार रहित होजिसे उच्चारते समय हम शांतचित्त हो और वह सुननेवाले को आनंद दे
  • दुःख में सिमरन सब करे,सुख में करे न कोय जो सुख में सिमरन करे ,तो दुःख कहे को होए
  • यह दोहा तो बहुत ही सरल है इसीलिए में इसे स्पष्ट नहीं कर रही हूँ
  • धीरे धीरे रे मना ,धीरे सब कुछ होए माली सींचे सौ घडा ,ऋतू आए फल होए
  • अर्थ:-इस दोहे में कबीरजी मन की चंचलता पर काबू रखने की सीख देते हुए कह रहे है जिस तरह माली पेड़ को सौ घडे पानी से सीचे लेकिन वृक्ष मौसम आने पर ही पल देता है इसीलिए जीवन में किसी भी वस्तु को प्राप्त करने के लिए धैर्य होना आवश्यक हैइसके साथ ही हमें सही समय की भी प्रतीक्षा करनी चाहिए
  • काल करे सो आज कर,आज करे सो अब पल में परलय होएगी ,बहुरि करेगा कब
  • हम सभी इस दोहे का भावार्थ भलीभांति जानते हैं
  • चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय दुई पतन के बीच में साबुत बचा न कोय
  • अर्थ :-इस दोहे में कबीरजी मानव की तृष्णा (लालसा) और दुसरे के प्रति घृणा की तुलना चक्की के दो पाटों से करते हुए कहते है की सारा संसार तृष्णा और घृणा रूपी दो पाटों के बीच घिस रहा है और संसार की यह दुर्दशा देखकर उन्हें स्वयम को दुःख होता है

2 comments:

angelina said...

Whoever posted this deserves an award for all the hardwork. This is the only site I have come across after watching hundreds of them, with hindi meanings.
Hat's Off!

angelina said...

However, I do wish he had put more than 6 dohas. And had written the meanings of all of them...:(